जब मैं ने पुलिस पर पहरा लगा दिया एक रात में मुझको चैनल चलाना था पुलिस की खाट खड़ी हो गई

यह बात है सन 2000 की मेरा अख़बार उस समय बंद था पैसे पैसे को मोहताज था कहीं कोई इनकम नहीं थी बहुत परेशान था अचानक मुझको एक ऑफर मिला एक लोकल चैनल को एक दिन में पॉपुलर करना था यानी उसको एक खबर में इतना बढ़ा देना था कि उसको सब जानने लगे उस समय खबरिया चैनल ना के बराबर ही थे लखनऊ में केवल एक पत्रकार ऐसा था रवि वर्मा जो आज हमारे बीच में नहीं है उन्होंने एक सिटी न्यूज़ खोल रखी थी और वह भी ऐसी तिकड़म से कि उन्होंने कैबिन में छेद कर रखा था बीएचएस कैमरे से वह दिन में खबरें शूट करते थे फिर इंदिरानगर में जाकर के उस मैं एडिटिंग करते थे घर पर आकर रीडिंग करते हैं और रात को बीएचएस कैमरे में डबिंग कर सारे केबल सेंटरों पर आधे घंटे की न्यूज़ चला रहे थे वह काबिल व्यक्ति था उसने सेटेलाइट में छेद कर रखा था उसकी देखा देखी एक चैनल एमटीवी के नाम से अचानक खोला जाने लगा उसका मकसद था 8 महीने बाद होने वाला मेयर का चुनाव उन दिनों एक आनंद शुक्ला जी थे पत्रकार वह उसके संपादक बने आंचल मल्होत्रा उसके प्रबंधक बने और अखिलेश दास उसके फाइनेंसर यह सब तो हो गया बिल्डिंग भी किराए पर ले ली गई गोखले मार्ग पर लेकिन अब यह हुआ कि यह चैनल अचल मल्होत्रा को मेयर का इलेक्शन लड़ाने के काम आए लेकिन सवाल उठता था कि मेयर का चुनाव 1 महीने बाद था और 1 महीने में इस चैनल का नाम कैसे हो जाए कि हर आदमी जान जाए इसके लिए आनंद शुक्ला जी और अचल जी मेरे पास पहुंचे उस समय मैं परेशान था ही मुझसे बोले कि मैं आपको आर्थिक रूप से मदद करूंगा आप हमारे चैनल को ऐसी खबर दें कि यह रातों-रात शहर में छा जाए मैंने उनकी बात स्वीकार कर ली कहां ठीक है अगर आप पैसे दोगे तो मैं मेहनत करके काम कर दूंगा मैं बहुत परेशान था मैंने उनसे कहा कि आप रात को 12:00 बजे के बाद हमारे पास कैमरे और एक गाड़ी भेज दो उन्होंने वैसा ही किया उस समय एक डीपी शुक्ला पत्रकार जो आज बड़े पत्रकार हो गए हैं वे उनके पत्रकार से वह भी हमारे घर पहुंच गए रात 1:00 बजे मैंने उनकी मारुति कार जोवेन थी उसमें फोटोग्राफर सब को बैठाकर चल दिया अब सबसे बड़ा मामला यह था कि मैं जिंदगी में पहली बार कैमरा फेस करने वाला था मैं सोच रहा था कि मामला कहां से शुरू करूं मैं पूरी टीम को लेकर चिनहट बाजार पहुंच गया उन दिनों चिनहट मैं सन्नाटा रहा करता था ठीक बाजार के बीच में खड़ा होकर कैमरामैन उसे कैमरा ठीक करके चलाने को कहा जिंदगी में पहला मौका था जो मेरे ऊपर कैमरे लगे थे 3 अब मैंने माई पकड़ के कहानी शुरू की मैंने कहा इस समय मैं रात 1:30 बजे चिनहट के बाजार में हूं यहां बिल्कुल सन्नाटा है चाहे जो जिस दुकान का ताला तोड़ दे कोई देखने वाला नहीं है और अब मैं यहीं से आज पुलिस का पहरा शुरू कर रहा हूं और वहां से कुछ सीन शूट करने के बाद चिनहट थाने पहुंच गया इत्तेफाक की बात थी वहां पर दारू के नशे में एक सिपाही बवाल काट रहा था जब तक हम लोग कैमरा लेकर उस मामले को सूट कर दे तब तक वहां का इंस्पेक्टर आ गया और उसने मेरे ऊपर राइफल तांदी बोला आगे कैमरा बंद कर दीजिए या नहीं होगा हमने कहा भाई अपने कप्तान उस समय बीवी बक्शी लखनऊ के एसएसपी होते थे उनसे बात कर लो कोई परेशानी तो नहीं होगी तुमको उसने कहा यहां मत कीजिए काम हम लोगों से बोला बाराबंकी रोड पर आ जाइए हमें का ठीक है हम लोग आते हैं आप चलो हमें आपका इंटरव्यू लेना है आप लोग रात को बहुत अच्छा काम करते हो इतनी मेहनत करते हो और यह कहके हम लोग चल दिए और वह भी चिनहट से बाराबंकी रोड की ओर चल रही है रात 2:00 बज रहा था हम लोग बजाय बाराबंकी की तरफ जाने के गाजीपुर थाने की तरफ मुड़ गए बीच में फिर इंस्पेक्टर साहब ने हम लोगों का पीछा किया और रोक लिया हमने तुरंत फैसला बदला और इंस्पेक्टर साहब का इंटरव्यू लेने लगे फैजाबाद रोड पर हमने उनकी बढ़ाई वाला इंटरव्यू लिया कि आप लोग रात भर मेहनत करते हो इस पर वह काफी प्रसन्न हुए और इंटरव्यू से खुश होने के बाद हम लोगों को आगे जाने के लिए इजाजत दे दी हम लोग वहां से मुंशी पुलिया चौकी पहुंचे वहां पर कैमरा चालू करा कर हमने सारे पुलिस वालों को सोते हुए कैद कर लिया उसके बाद वहां से आगे बढ़े रिंग रोड के पास चौकी पर शराब पीकर पड़ा एक सिपाही बकवास कर रहा था हमने उसकी फिल्म बनाई जब तक वह हमारा पीछा करता कुछ समझ पाता हम आगे बढ़ गए वहां से हम लोग विकास नगर थाने पहुंचे इत्तेफाकन की बात वहां ब्लू फिल्म चल रही थी थाने के अंदर हमने आराम से कैमरा चला कर ब्लू फिल्म का वह सीन सेट की या चुपचाप वहां से निकल कर रास्ते की हवा पानी लेते हुए अलीगंज थाने पहुंचे वहां अपने मुंह पर कैप रखकर थानेदार साहब सो रहे थे हमने आराम से फिल्म बनाई किसी को सनक नहीं लगी और चुपचाप वहां से भी निकल लिए गुडंबा थाने पहुंचे वहां सब गोलमाल सो रहे थे वहां की फिल्म बनाई वहां से हम मेडिकल कॉलेज पहुंचे चौराहे पर टिकट पूरी लेटी मस्त सो रही थी रात का 3:00 बज रहा था ढाई दिन उनकी फिल्म बनाई उसके बाद वहां से चौक कोतवाली पहुंचे कोतवाली के अंदर दीवान के रूम में एक तरफ से पूरा थाना सो रहा था हमने आराम से उनके बीच में खड़े होकर और बोलते हुए यह देखिए सब पूरा थाना आराम से नगाड़े बजा रहा है सो रहा है अच्छी फिल्म शूट की उसके बाद कोतवाली के बाहर कमेंट्री बोली और वहां से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के सप्रू मार्ग स्थित आवास पर 3:30 और 4:00 के बीच पहुंचे वहां पर बाहर का संत्री भी सो रहा था हमने आराम से वहां की फिल्म बनाई किस शहर तो सो ही रहा है पुलिस तो पूरी सो रही है और बची कुची कप्तान साहब का संत्री भी सो रहा है कप्तान साहब अंदर सो रहे हैं संत्री बाहर सो रहा है और हमने 4:00 बजे अपना उस दिन का पहरा यह कहते हुए समाप्त किया कि आज 1:00 बजे से शुरू किया गया पहला 4:00 बजे खत्म किया दूसरे दिन किसी को हमारी इस हरकत की हवा तक नहीं थी दूसरे दिन जब उसकी डबिंग करके पूरी रीडिंग अरे ईटिंग करने के बाद केबल सेंटरों पर न्यूज़ चली तहलका मच गया एमटीवी एक दिन में ही पूरे शहर में चर्चित हो गया कप्तान से लेकर डीजी से लेकर नीचे से लेकर ऊपर तक हाहाकार मच गया मुझको डीजी ने बुलाया बोला आरडी तुमने यह क्या किया हमने कहा सर इसी बहाने आपका पूरा महकमा हम ने जगा दिया बहुत खुश हुए बजाय नाराज होने के उन्होंने हमें शाबाशी दी बोले बहुत अच्छा काम किया तुमने कम से कम पुलिस वालों में डर आ गया और अब वह जागेंगे पहरा देंगे मैंने अपना काम वादे के अनुसार उस चैनल के लिए कर दिया जबकि रात को इतना खतरनाक खेल खेला था कहीं भी जान जा सकती थी लेकिन अफसोस यह रहा कि जो हमारी आर्थिक स्थिति थी उस समय खराब थी उसमें एक चैनल के लोगों ने काम तो ले लिया लेकिन अफसोस या हुआ की जान पर खेलकर पुलिस वालों से मोर्चा लेते हुए चैनल को 1 दिन में चर्चित तो कर दिया लेकिन जो मुझे पैसे की जरूरत थी वह पूरी नहीं हुई अचल मेहरोत्रा मेयर का चुनाव लड़े आनंद शुक्ला जी संपादक बनकर हीरो हो गए लेकिन किसी ने भी मुझ को एक पैसा नहीं दिया क्योंकि वह चुनाव हार गए चैनल बंद हो गया बहुत दुख हुआ बाद में मैंने अपना खुद का चैनल लगाया और वह खूब चला इस तरह धोखा खाता है आदमी और इस तरह धोखा देता है व्यक्ति ऐसा हमने विश्वास नहीं किया था जो काम हमने कर दिया था उस एक रात में जो रिपोर्टर डीपी शुक्ला जी हमारे साथ थे आज वरिष्ठ दम रिपोर्टर और पत्रकार बन चुके हैं मैं आरडी शुक्ला आपको बताऊंगा आगे किस तरह फिर मैंने फाइव स्टार न्यूज़ अपनी खोली और 10 वर्षों तक चलाई 20 लाख लोग हमारे चैनल को देखते थे 16 केबल्स सेंटरों से हमारी न्यूज़ चलती थी रोज धन्यवाद या फिर बता दो कि उस समय कोई भी खबरिया चैनल सेटेलाइट के ज्यादा नहीं थे 12 थे सिर्फ जो आज सैकड़ों और हजारों की तादाद में है