आरडी शुक्ला द्वारा यह बात होगी सन 2004 5 की उस समय मैं फाइव स्टार न्यूज़ चैनल लखनऊ में चलाता था काफी उसका नाम था और योग काफी उसको पसंद करते थे चुकी सरकार से हम लोगों को मान्यता मिली हुई थी सेटेलाइट चैनल तो था नहीं केबल के सेंटरों से सीडी के सहारे हम चैनल चलाते थे रोज आधे घंटे का न्यूज़ बुलेटिन सीडी पर बनाकर हम 16 सेंटर पर लखनऊ के भेजते थे 8:00 से 8:30 तक न्यूज़ चलती थी एक दिन एक साधु मेरे पास आया क्योंकि मैं चैनल का संपादक था और मालिक भी था तो उसने हमसे अपने साधु मुखिया की तारीफ करते हुए बताया कि वह संत ज्ञानेश्वर जी हैं हमारे प्रमुख उनका आश्रम बाराबंकी के जैतपुर क्षेत्र में है और वहां और रोज सत्संग करते हैं उनका इंटरव्यू ले लीजिए तो हम लोगों ने कहा क्योंकि हम लोगों का खर्चा भी काफी होता था जी भाई उसमें कुछ हम लोगों की मदद करें आर्थिक उन्होंने कहा हम करेंगे हम और 2 लोग अपनी गाड़ी से जैदपुर पहुंचे वहां से जंगल के रास्ते ओ साधु हम लोगों को लेकर वहां पहुंचा जहां उसका मुखिया संत ज्ञानेश्वर रहता था वहां पहुंचकर हम लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था सुंदर फूलों से सजी कोठी थी हजारों बीघा में उसके खेत थे फिर हम लोगों ने कैमरा निकाला उनका सत्संग कबर किया उसके बाद उन्होंने अपनी खेती दिखाएं कि वो किस तरह तरह तरह से खेती करते हैं और कितने सुंदर सुंदर पेड़ बाग उन्होंने लगा रखे हैं हम लोगों ने उन सब की फिल्म बनाई लखनऊ आए हमें उन्हें उस पर स्टोरी बनाई और दिखाई कुछ आर्थिक मदद भी ली उनसे फिर उन्हें कहा कि हमारे यहां हर वर्ष एक विजय दिवस मनाया जाता है उस दिन आप लोगों को रात को आना होगा अच्छों की खर्च और सब की तनखा की व्यवस्था मैं करता था तो मैंने कहा ठीक है पूरी रात आपका कवरेज हम करेंगे और हमको ₹25000 आप दे देना उस पर वह राजी हो गए जिस दिन जाना था इत्तेफाक की बात मैं अपनी गाड़ी नहीं ले गया उनकी ही गाड़ी पर कैमरामैन पत्रकार राकेश जी बृजमोहन आजो साधना चैनल चला रहे हैं उस समय इन लोगों को मैं पत्रकारिता सिखा रहा था इस सब लोग से ही साथ में मैंने एक अपने मित्र बनर्जी साहब को ले लिया किरात का मामला है और जिस क्षेत्र में जाना था वह क्षेत्र अफीम और हीरोइन की तस्करी के लिए कुख्यात विख्यात है मैं सशंकित तो था लेकिन आर्थिक लाभ को देखते हुए हमने कहा चलो एक रात में कुछ कमाई हो जाएगी और उन्हीं की गाड़ी से हम सब लोग दूसरी बार जयपुर पहुंच गए वहां जंगल में हमने मंगल देखा और वह भी बहुत अजीबोगरीब वहां पहुंचने पर महात्मा जी साधु सबने हमारे लड़कों से जब पत्रकार साथी थे फोटोग्राफर थे उनसे कहा कि यह भगवत क्षेत्र है यहां जो मौज मस्ती करनी हो करो हमने देखा लड़कों ने देखा कि वहां आदमियों से ज्यादा लड़कियां मौजूद थे महिलाएं महाराज जी के साथ चल रही थी वह भी छोड़िए सबसे बड़ी बात थी लगभग 1 किलोमीटर के उस आश्रम में 200 के करीब बंदूकधारी पूरे आश्रम को घेरे हुए थे आश्रम के चप्पे-चप्पे में यह बंदूकधारी घूम रहे थे वहां पर मुझको शंका पैदा हुई और मैंने अपने मित्र तुषार बनर्जी जो पायनियर अखबार से मेरे साथ है उनको मैंने अपनी शंका से अवगत कराया कि मुझे यह जगह ठीक नहीं लग रही है यहां के लोग ठीक नहीं है इस बीच हमारे पत्रकार साथी राकेश जी ब्रजमोहन जी दोनों ही आज वरिष्ठ पत्रकार है इन लोगों को समय बचपना था यह माहौल को नहीं समझ पाए और यह लोग वहां की हरकतों पर पत्रकारों की तरह टुकड़े बाजी करने लगे यह लोग वहां पर फिल्म कवरेज तो कर रहे थे लेकिन साथ में वहां की हरकतों पर कमेंट बाजी भी करने लगे पुरी आश्रम में महाराज जी की आदमी लगे हुए थे वह इन पत्रकारों की बातों से अपने मुखिया को लगातार अवगत कराते या रहते कि यह लोग उल्टी-सीधी बातें कर रहे हैं और वहां की स्थिति भी ठीक नहीं थी मैं और तुषार आश्रम से दूर जंगल में जाकर बैठ गया उस समय मेरे पास लाइसेंसी माउज़र पिस्तौल थी चुपचाप मैं रात काट रहा था लड़के कार्यक्रम को कवर कर रहे थे हम लोग अंधेरे में गायब हो गए धीरे धीरे रात 2:03 बजे की सारे हथियारबंद लोग पुरी आश्रम में एकदम से दीए जलाकर रोशनी की गई और फायरिंग शुरू हो गई जो करीब 1 घंटे चलती रही नारेबाजी होती रही हम लोग ऐसी जगह में थे यहां दूर-दूर 50 किलोमीटर तक कोई सुनने वाला नहीं था कुछ भी होता किसी को कुछ पता नहीं चल सकता था घोर जंगल के बीच में था वह लेकिन जो महल बना था महाराज जी का पक्का था और उसके ऊपर सिर्फ फूल ही फूल लगे फूलों से सजा नहीं था बल्कि फूल के पीड़ित ने लगाए गए थे की पूरी कोठी फूलों से परमानेंट सजी हुई थी महाराज जी उन पत्रकार लड़कों और हमसे बहुत सनक गए और काफी उदास हो गए क्योंकि जो भी उनकी इच्छा थी हमारे पत्रकार से से मेरे वहां रहते किसी गलत हरकत में नहीं पढ़ सकते थे और वहां गलत का ही अड्डा लग रहा था सुबह होने तक महाराज जी ने हमारा इंतजार किया लेकिन मैं उनके पास नहीं गया उस माहौल में नेपाली लड़कियों की पूरी भीड़ थी जो उस क्षेत्र की नहीं थी ऐसा मालूम हो रहा था यह लड़कियां कहीं बाहर से लाकर रखी गई है सुबह होते होते हमने उन साधु महोदय से जो हम लोगों को इस पूरे कार्यक्रम में लेकर गए हैं कहा कि हमारा पेमेंट करवा दीजिए और हम लोगों को लखनऊ भेज दीजिए उनका कुछ सीधा उत्तर हम लोगों को नहीं मिला दिन चढ़ता गया 10:11 बज गया हम सब वहां बंधक बना लिए गए थे 1 तरीके से वह लोग कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि हम लोग का क्या करें लड़के परेशान थे मैं उनसे प्रार्थना करता था साधु जी से और हमारा पेमेंट तुरंत करवाएं लेकिन महाराज जी उठ कर चले गए और उसके बाद क्योंकि हम लोग गाड़ी लेकर नहीं गए थे वहां सब लोग गायब हो गए हमको लगा कि यहां कुछ गड़बड़ है लेकिन चुकी संख्या हम लोगों की ज्यादा थी बस यही उनकी समस्या थी मेरे पास अस्त्र था लेकिन साधन नहीं था यह भी जिंदगी में पहली बार बिना साधन के मैं कहीं गया था 12:00 बजे दिन तक जब मुझे गाड़ी नहीं दी उन्होंने तब हमने ज़िद करना शुरू की और स्थिति को भांप कर ज्यादा टाइट भी नहीं हुआ मैं जान रहा था यह अपराधियों के गिरोह में हम लोग फंस गए हैं किसी तरह दिन में 1:00 बजे के करीब बहुत बहुत जिद करने पर बिना पेमेंट दिए बड़ी उदास मुद्रा में और परेशान हालत में हम हम लोगों के गाड़ी पर बैठाकर बाहर भेजा गया क्योंकि वह जान गए थे कि यह लो का विद्रोह कर देंगे और वह मुसीबत में फंस जाएंगे हम लोग वहां से तो चले आए फिर एक दिन उनकी सीडीयू और फिल्म लेकर उनसे मिलने पहुंचे और पेमेंट की बात की अंदर से महाराज जी का कोई जवाब नहीं मिला हम लोग 2 घंटे खड़े रहे बाद में कह दिया गया कि महाराज जी नहीं मिलेंगे आप लोगों से और पैसा भी नहीं मिलेगा कारण यह था राकेश जी और ब्रजमोहन जी और पत्रकार बंधुओं ने महाराज जी को इतना कमेंट कर दिया था उनकी हरकतों पर उनकी महिलाओं के साथ क्रियाओं पर इतना रिजेक्ट कर गए थे की वह बहुत नाराज थे और वह भी बहुत कुछ समझ रहे थे खैर हम लोग चले आए कुछ दिन बाद उनका साधु लखनऊ विधानसभा के सामने मिला मैंने रोक कर कहा कि मेरा पेमेंट करवाओ उसे सीधे धमकी देते हुए कहा कभी तुम हम लोगों को जानते नहीं हो हम लोग बहुत खतरनाक लोग हैं तुम्हारा तुम लोगों ने वहां बहुत बदतमीजी की अब तुम लोगों को पैसा पैसा नहीं मिलेगा हर लखनऊ था हमने भी दबोच लिया कहा ठीक है कोई बात नहीं जैदपुर बाराबंकी में जहां पर इस महाराज का महल था वहां पर जाकर उनसे निपट पाना आसान नहीं था इसी बीच में हरिद्वार गया वह प्रेम नगर आश्रम में हमको सत्यपाल महाराज जी के यहां उस महाराज की पूरी कहानी पता चली की वह कुख्यात हत्यारा है बिहार के गोपीगंज में वह एक डीएम को मार चुका है सुल्तानपुर में विधायक की हत्या की उसमें हरिद्वार में भी अपना व्यापार शुरू किया था लेकिन वहां से वह भाग निकला उसके बारे में जब यह सब चीजें और उसके कुख्यात अपराधी होने की बात जब पता चली तो हम लोग कर भी क्या सकते थे लिहाजा यही सोच कर चुप बैठ गए चलो हम लोगों की जान बच गई उस दिन इतना ही बहुत है साल 2 साल बिता एक दिन मैंने सुबह अखबार में देखा यह संत महाराज जी और उनके साथ 7 महिला इस कुंभ से पहले वाले कुंभ में प्रयाग में ak-47 राइफल से गोलियों से भून दी गई इस इस महाराज की सुरक्षा में महिला ही रहती थी यह भी पता चला था यह नेपाल से लड़कियों की तस्करी करता है अफीम की तस्करी करता है तभी इसका साधु दुबई और विदेश तक हीरोइन और मादक पदार्थ की तस्करी करता था वही कभी-कभी लखनऊ में दिखता था हम लोगों को सुबह जो ही हमने यह खबर पढ़ी यस अपने साथ महिलाओं के साथ गोलियों से भूना गया तत्काल हमने आज तक के यहां लखनऊ के प्रभारी राजू पंत जी थे उनसे और दिल्ली से संपर्क किया मैं भी पत्रकार सा चैनल चलाता था मैंने उन लोगों से कहा कि अगर इस कांड के संबंध में आपको उसके घर की और कुछ फिल्म चाहिए हो तो हमारे पास मौजूद है आज तक चैनल ने स्वीकार कर लिया और हम से तत्काल वह फिल्म मांगी जिसका वह पैसा जिंदा में नहीं दे रहा था हत्याकांड में यह भी मारा गया था और 7 लड़कियां मारी गई थी कहानी बहुत बड़ी थी तुरंत आज आज तक चैनल मैं हमारी वह फिल्म खरीद ली जो हम रात भर बंधक बनाए जाने के दिन हम खींच के लाए थे हमको तत्काल पैसा भी मिल गया आज तक ने हमारे नाम से फिल्म चलाई और वह सब उनके काम की भी थी इतना बड़ा हत्याकांड हुआ था कितने बड़े चैनल को जो वह महत्वपूर्ण फिल्म मिल गई आप सोचें कि जो पैसा हम उस कुख्यात अपराधी के जिंदा रहते नहीं ले पाए उसके मरने के बाद उसकी फिल्म हमको दे गई बाद में सुना हम लोगों ने किसने बिहार के गोपीगंज के एसडीएम की हत्या की थी सुल्तानपुर के एक विधायक की हत्या की उसी विधायक के भाई ने इसको और इसकी सहेलियों को एके-47 से भून दिया जब यह कुंभ मेले में स्नान करके लौट रहा था वैसे मैं तो समझ गया था उस रात ही यह कुख्यात अपराधी है किसी तरह इसके अड्डे से निकल चलो और शांति से वहां से हम लोगों का निकलना ही हम लोगों की जान बचनी थी बाद में भगवान की कृपा से जो काम इस के जिंदा रहते नहीं हुआ मरने के बाद हम लोगों को हम लोगों की मेहनत का पैसा भी मिल गया अब सोचिए कितने खतरनाक जगहों से हम पत्रकारों को गुजारना पड़ता है कितने खतरे मोल लेकर आप तक यह सच्ची कहानियां पहुंचा पाते हैं हम लोग जान हमेशा हथेली पर रखते हैं अगली कहानी के लिए तैयार रहिए इससे भी सनसनी वाली होगी हम लोगों को बाद में पता चला था इसके उस जैतपुर वाले आश्रम मैं जो भी अंदर गया वह जिंदा वापस नहीं आया
पूरी रात बंधक बनाए रहा है चैनल के पत्रकारों को कुख्यात अपराधी हत्यारा संत ज्ञानेश्वर कैसे वहां से निकले सुनिए एक कहानी हमारी जुबानी