दोस्तों नया यातायात कानून किस वजह से बना है इसकी आलोचना है बहुत तेजी से हो रही है लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा है आखिर क्यों क्या इसके पीछे हमारा पढ़ा-लिखा तबका या नहीं समझ रहा है कि हमारे देश की और सड़कों की हालत क्या है हर वर्ष लाखों लोग सड़क दुर्घटना में मारे जा रहे हैं हर वर्ष लाखों लोग दुर्घटना में घायल होकर अपंग हो रहे हैं उनकी और आपका ख्याल नहीं है यह कानून सरकार में अपने लिए तो बनाया नहीं है इससे उनको रोकड़ा तो पैदा नहीं करना है और ना ही सरकार चलानी है अति में परेशान हो गए हैं नित्य प्रति जिस संख्या में दुर्घटनाएं हो रही हैं लोग मारे जा रहे हैं और घायल हो रहे हैं उसको देखते हुए सरकार और कर क्या सकती है वह हर व्यक्ति के पीछे पुलिस को तो बैठा नहीं सकती उसके पास एक दबाव की राजनीति होती है कि उसने कानून में जुर्माने का दाम बढ़ा दिया कि शायद इससे डरकर लोग कुछ सड़क के कानून मानने लगे और जाने बचने लगे लेकिन यहां हिंदुस्तान में अच्छा करो तो भी बुरा ही मिलता है सरकार ने तो इसलिए किया क्योंकि उसके पास पूरे देश के आंकड़े मौजूद हैं उनको देखकर उसने कानून बनाया यहां हर व्यक्ति के पास आंकड़े नहीं है पढ़ा लिखा जरूर है लेकिन वह समझ नहीं रहा है कि सरकार दबाव के अलावा इस मामले में और करके आ सकती है अब अगर वह हेलमेट लगवा रही है तो बिना जब आओगे तो कोई पहनने को तैयार नहीं था और रोज सड़क पर पटपट आदमी मर रहा था घरों के घर बर्बाद हो रहे थे तो ऐसी हालत में सीट बेल्ट लोगों को पहन वाना क्या जरूरी नहीं था पूरे परिवार के परिवार दुर्घटना मैं मारे जा रहे थे अब क्योंकि हर आदमी तो उसका भुक्तभोगी नहीं है मैं जानता हूं मैंने अपने घर में दो लोगों को दुर्घटना में खोया है दोनों जवान एक भाई एक भांजा हमको तकलीफ है हमें मालूम है 50 साल बाद भी हम उनको नहीं भूल पाए तो आज जो हो रहा है इस जनसंख्या बढ़ती जनसंख्या में जब की सड़कें गाड़ियों से फुल हैं आदमी पर आदमी हावी है ऐसी स्थिति में किस तरह सरकार कानून का पालन करवाएं जिससे कि असमय दुर्घटना में होने वाली मृत्यु कम हो सके और नहीं तो आप लोग एक बार पूरे भारत में हो रही दुर्घटना और अपंगता का रिकॉर्ड उठा कर देख ले कि सरकार ने फैसला सही किया है या गलत किया है ठीक है आपको बहुत भारी लग रहा है जुर्माना बढ़ा दिया गया है तो किस लिए जनता के जानमाल की सुरक्षा के लिए सरकार को अपनी सुरक्षा तो नहीं करनी है फिर इतनी हाय तौबा इतने कमेंट कम से कम पढ़े लिखे लोगों को नहीं करना चाहिए हेलमेट कहा जाता है तो उसको पहन ले कागज गाड़ी के होते हैं उसको रख ले सीट बेल्ट लगा ले स्पीड पर कंट्रोल रखें तो चालान कैसे होगा जबरन सब कुछ सही होते हुए मैं आपसे जुर्माना कौन ले लेगा तो फिर डर काहे का यह जो तमाशा बनाया जा रहा है तिल का ताड़ बनाया जा रहा है क्यों जिनके यहां मौतें नहीं हुई है और जिनके घर उजड़ गए हैं दुर्घटना में उनको एहसास है क्षणभर किया सावधानी या असावधानी से कितना बड़ा नुकसान हो जाता है जिसके घर में एक बच्चा है उसकी अशोक भाई दुर्घटना में हो जाती है उसके घर से पूछिए क्या गुजरती है जिसके घर में कमाने वाला एक होता है और वह अचानक हादसे का शिकार होता है उसके घर से पूछे क्या होता है सरकार ने जो भी कदम उठाया है जनहित में उठाया है पूरे भारत के आंकड़ों को देखकर बताया है कि हर सड़क पर हर राज्य में हर मोहल्ले हर शहर में आज किस कदर दुर्घटनाएं हो रही है जनसंख्या अति में बढ़ चुकी है वाहनों से सड़क भरी पड़ी है कोई किसी को देख नहीं रहा है आपाधापी में गाड़ियां चला रहे हैं कोई मरता है तो मरा करें किसी को किसी का ख्याल नहीं है तो जब ऐसे जंगली कानून के चलते सड़क पर वाहन चलाए जाएंगे तो क्या होगा कितने उदाहरण दिया जाए कि जिनके पूरे परिवार के परिवार सड़क दुर्घटनाओं में साफ हो चुके हैं लाखों लोग अपंग हो करके किस बुरी दशा में जिंदगी काट रहे हैं जिस का भी जायजा ले ले सब पता करने आंकड़े तो अगर आज सरकार ने कुछ कड़े नियम कानून बना दिए हैं तो इसलिए नहीं है कि उनको जबरन लागू करा कर आपकी गर्दन पकड़कर आपसे पैसा वसूलना है और अपनी जेब मैं डालना है किसी तरह मृत्यु संख्या और अपंगता की संख्या को कम करना चाहते हैं यह हमारे हित में ही है फिर इतना विरोध क्यों लाइसेंस बनवा लें कागज ठीक से रखे हैं हेलमेट लगा ले सीट बेल्ट पहन ले सारी फॉर्मेलिटी के साथ चले सड़क पर कौन माई का लाल आपका चालान कर देगा पुलिस को कुत्ते ने नहीं काटा है पहले बहुत छूट मिलती रही है उसी का परिणाम है कि आज हम पूरी तरह बिगड़ चुके हैं जरा सी भी शक्ति होती है तो हम पगला जाते हैं ना उसके आगे देखते हैं ना पीछे वाह रे हिंदुस्तान कम से कम भैया देखो कि साल भर के आंकड़े क्या बता रहे हैं देश में सड़कों पर हो क्या रहा है उन्हें सब चीजों को देख कर ही तो सरकार व्याकुल हो गई उसने इतना सख्त कानून बनाया कोई फांसी पर चढ़ाने नहीं आ रही है फांसी तो आप हेलमेट ना लगा कर ले लेते हैं आशी तो आप सीट बेल्ट ना लगा कर स्वयं ले लेते हैं तो अपनी मौत को आप दावत खुद देते हैं स्पीड से गाड़ी चला कर ओवरटेक करके गलत आज सरकार सख्त है बहुत अच्छा है ठीक है उसको कढ़ाई करनी चाहिए वह कैसे जनता को सही रास्ते पर लाए जिससे कि साल भर में सड़कों पर होने वाली मौतों को कम किया जा सके अपंग तक कम किया जा सके दुर्घटनाएं कम की जा सके मैं देख रहा हूं की कितनी तेजी से इसका विरोध जबरन किया जा रहा है जबकि अभी ऐसी आफत आई भी नहीं है हम स्वयं क्यों नहीं ठीक हो जाते या हम ठीक नहीं होना चाहते हम जीना चाहते हैं हम अपंगता से बचना चाहते हैं तो थोड़ी सी सावधानी और कानून का पालन सीख ले फिर आप सड़क पर आराम से चले नहीं तो मैं कह रहा हूं कि आप साल भर के आंकड़े निकाल के एक बार पढ़ ले आपके होश फाख्ता हो जाएंगे हर चीज को नकारात्मक ढंग से लेना उचित नहीं होता है मैं सिर्फ आपसे गुजारिश करूंगा किया मामला राजनीतिक नहीं है बहुत दिन से दुर्घटनाओं की संख्या को देखकर सरकार ने इस तरह का कड़ा फैसला दिया शायद इससे कुछ सड़कों पर तड़प-तड़प कर मरने वाले लोगों की संख्या कम हो दुर्घटना में हाथ पैर गंवाने वाले लोगों की तादाद कम हो इसमें बुरा क्या है हम हाय तौबा मचाने की जगह थोड़े दिन सरकार का पुलिस का समर्थन करें साथ दें इस कानून का दुरुपयोग होता है तो हमें हक है कि हम उसका विरोध करके उसको खत्म कराएं आपका आरडी शुक्ला
नए यातायात संबंधी कानून से आप परेशान क्यों है आप समझें कि लाखों लोग सड़क पर तड़प के मर जा रहे हैं लाखों अपंग हो रहे हैं उनका तो ख्याल करें